सरकार के आदेश के बाद भारत में 857 पॉर्न वेबसाइट पर लगा 'बैन'

भारत सरकार ने 800 से ज्यादा पॉर्न वेबसाइट की लिस्ट इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर को भेजी है। सरकार ने इन यूआरएल को ब्लॉक करने का आदेश दिया है।

सरकार के आदेश के बाद भारत में 857 पॉर्न वेबसाइट पर लगा 'बैन'
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इस वीकेंड के दौरान कई इंटरनेट यूज़र ने Reddit और Twitter पर यह दावा किया कि उनके कंप्यूटर पर पॉर्न साइट्स नहीं खुल रहे हैं। अलग-अलग यूज़र के दावों को पढ़कर तो ऐसा ही लगा कि यह बैन कुछ इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स (ISP) तक ही सीमित था। NDTV Gadgets को जानकारी मिली कि मुंबई में MTNL और Hathway के कस्टमर जब Youporn और Pornhub वेबसाइट को खोलने की कोशिश कर रहे थे तो उन्हें ब्लैंक पेज देखने को मिल रहा था। वहीं दिल्ली के Airtel यूज़र्स इन पॉर्न साइट्स को एक्सेस कर पा रहे थे। इसलिए यह सवाल बना हुआ था कि आखिर चंद ISP पर ही इस तरह के साइट क्यों ब्लॉक किए गए हैं?

लेकिन सोमवार दोपहर तक स्थिति स्पष्ट हो गई। दरअसल भारत सरकार ने ही पॉर्न वेबसाइट को बैन करने के आदेश दिए थे। सरकार ने 800 से ज्यादा वेबसाइट को ब्लॉक करने का आदेश इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर को भेजा है।

सरकार के आदेश की एक कॉपी सेंटर ऑफ इंटरनेट स्टडीज द्वारा लीक कर दी गई है जिसे 31 जुलाई को सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के टेलीकॉम विभाग द्वारा जारी किया गया है। इस आदेश में इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 के 79(3)(b) सेक्शन का हवाला देकर कई वेबसाइट को ब्लॉक करने को कहा गया है। यह सर्कुलर एयरटेल और बीएसएनएल जैसे इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर को भेजा गया है।

आधिकारिक पुष्टि से पहले ही एक ISP ने यह जानकारी दी थी कि उन्हें 31 जुलाई को टेलीकम्युनिकेशन विभाग की ओर से 857 URL की लिस्ट भेजी गई थी, जिसे ब्लॉक करने को कहा गया था।

वैसे तो देश में पॉर्न साइट को बैन करने की बात पिछले कुछ दिनों से लगातार चल रही है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल ऐसे किसी बैन से इनकार कर दिया था। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में अंतरिम आदेश पास करने से इनकार किया था। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एच एल दत्तु ने सुनवाई के दौरान कहा था, ''कोर्ट इस तरह के अंतरिम आदेश नहीं पास कर सकता। कल को कोई शख्स कोर्ट का दरवाजा खटखटाए और दलील दे कि जब मेरी उम्र 18 साल से ज्यादा है तो आप मुझे घर की चाहरदीवारी में पॉर्न देखने से कैसे रोक सकते हैं। यह संविधान के आर्टिकल 21 (व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन है।''

इस बैन के बाद अजीबोगरीब स्थिति पैदा हुई है। यह ऐसी परिस्थिति पैदा कर रहा है कि कल को किसी और साइट को भी बैन किया जा सकता है। आज अश्लील कंटेंट वाले वेबसाइट के साथ ऐसा हुआ है इसलिए होहल्ला नहीं मचेगा, लेकिन कल को अन्य किस्म के कंटेंट वाले वेबसाइट के साथ भी ऐसा हो सकता है। इसलिए पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना बहुत जरूरी है।
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