Xolo Chromebook रिव्यू: काम की चीज आपके बजट में

अगर आप कंप्यूटर के इस्तेमाल को लेकर नर्वस है, या फिर किसी छोटे-मोटे काम के लिए इसका इस्तेमाल करना चाहता है, तो Chrome ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलने वाला यह डिवाइस काफी मददगार साबित हो सकता है।

Xolo Chromebook रिव्यू: काम की चीज आपके बजट में
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क्रोमबुक (Chromebook) ऐसा डिवाइस हैं, जो कंप्यूटर की तरह ज्यादातर ड्यूटी परफॉर्म कर सकते हैं। ये छोटे तो हैं पर किसी एंड्रॉयड (Android) टैबलेट डिवाइस से ज्यादा कंफर्टेबल हैं, पर इसमें वो विवधता नहीं। आज की तारीख में सबकुछ ऑनलाइन हो रहा है और Chromebook उसी का नतीजा है। अगर आप अपने कंप्यूटर को इस्तेमाल के तरीके को गौर करें तो आप ज्यादातर काम वेब ब्राउजर पर करते हैं, अगर आपसे कंप्यूटर के ज्यादातर फंक्शन छीन भी लिए जाएं, तो बहुत ज्यादा फ़र्क नहीं पड़ेगा।

गूगल (Google) का क्रोम (Chrome) ऑपरेटिंग सिस्टम बहुत हद तक कंपनी के वेब सर्विसेज़ और सॉफ्टवेयर पर निर्भर नजर आता है। ऐसा प्रतीत होता है कि कंपनी यह मानती है कि आप ज्यादातर समय ऑनलाइन रहते हैं। कंपनी का सोचना है कि जब सब कुछ ऑनलाइन स्टोर किया जा सकता है तो लोकल स्टोरेज की क्या जरूरत? और ऑनलाइन बैकअप को तो कहीं से भी एक्सेस किया जा सकता है। सैद्धांतिक तौर पर यह एक बेहतरीन आइडिया है, पर इसे लागू करना अब तक मुश्किल साबित हुआ है।



सबकुछ ऑनलाइन उपलब्ध होना और इसे आसानी से एक्सेस कर पाना, फिलहाल भारत में ऐसी इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं। इसके अलावा अब तक बाजार में आए Chromebook की कीमत भी ज्यादा रही है, जिस कारण से लोगों ने रेगुलर लैपटॉप या टैबलेट खरीदने पर ज्यादा जोर दिया। हो सकता है यह ट्रेंड जल्द ही बदले, वो भी जब Xolo ने इस सेगमेंट में अपने प्रोडक्ट को उतारा है और इसकी कीमत भी अब तक लॉन्च हुए बाकी प्रोडक्ट से बहुत कम है।

अगर आप या फिर आपकी पहचान का कोई शख्स कंप्यूटर के इस्तेमाल को लेकर नर्वस है, या फिर किसी छोटे-मोटे काम के लिए इसका इस्तेमाल करना चाहता है, तो Chrome ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलने वाला यह डिवाइस काफी मददगार साबित हो सकता है। Xolo के लिए यह एक बेहतरीन मौका भी है।



लुक और डिजाइन
Xolo Chromebook दिखने में किसी और बजट लैपटॉप के जैसा ही है, लेकिन मैटे ग्रे प्लास्टिक बॉडी और एक कॉर्नर में ब्राइट Chrome लोगो के कारण यह अपने आप में थोड़ा अलग भी है। यह डिवाइस दिखने में औसत है, लेकिन किसी और चीज से ज्यादा यह उपयोगी नजर आता है। बॉडी को कुछ इस अंदाज में बनाया गया है कि जब उसे आप ऊंगलियों के मोड़ में पकड़ने की कोशिश करते हैं, तो यह फिट बैठता है।

डिवाइस के बॉडी मेटिरयल ने हमें शॉकप्रूफ लैपटॉप की याद दिलाई, जिन्हें विद्यार्थियों को ध्यान में रखकर बनाया जाता है, जो एक सही फैसला नज़र आता है। जब डिवाइस को खोलते हैं तो कीबोर्ड के आसापास ग्लॉसी किस्म का प्लास्टिक पाते हैं। हमने पाया कि इस सर्फेस पर बड़ी ही जल्दी धब्बे लग जाते हैं।

कीबोर्ड काफी लार्ज है, लेकिन आपको तुरंत एहसास होगा कि इसका लेआउट ज्यादातर लैपटॉप से मेल नहीं खाता। इसके नीचे बिना बटन वाले स्टैंडर्ड ट्रैकपैड हैं। मैटे और स्क्रीन के ऊपर बने हुए पैनल में वेबकैम है। इन सबचीजों के अलावा डिजाइन में कुछ भी ऐसा खास नहीं, जिसका जिक्र किया जाए।



डिवाइस के दोनों तरफ एक-एक USB 2.0 पोर्ट है। बायीं तरफ, इसके साथ एक पावर इनलेट और स्टेटस एलईडी, एक HDMI वीडियो आउटपुट और एक एक्सपोज्ड माइक्रोकार्ड स्लॉट हैं। दायीं तरफ, एक 3.5mm हैडसेट सॉकेट और एक केनसिंग्टन (Kensington) लॉक स्लॉट है। क्रोमबुक के निचले हिस्से में दो

छोटे स्पीकर के कटआउट हैं, पर इनकी पोजीशन ऐसी नहीं है कि आवाज सफाई के साथ बाहर की ओर आए। इसके अलावा बॉटम हिस्सा पूरी तरह से ब्लैंक है और वेंट्स (गर्म हवा निकालने के लिए जगह) की जरूरत नज़र नहीं आती।

अगर आप फैशन स्टेटमेंट के हिसाब से सोच रहे हैं, तो आप किसी और डिवाइस पर ध्यान लगाएं। जहां तक बजट प्रोडक्ट की बात है, तो हम अपियरेंस और बिल्ड क्वालिटी से खुश हैं।



स्पेसिफिकेशन और सॉफ्टवेयर
यह एक सुपरफास्ट डिवाइस नहीं है, Android टैबलेट के लिहाज से भी। डिवाइस में Rockchip RK3288 प्रोसेसर है, जिसमें चार ARM Cortex-A17 कोर 1.88GHz की स्पीड से चलते हैं और इसके साथ Mali-T624 GPU इंटिग्रेटेड है। RK3288 प्रोसेसर 4K वीडियो आउटपुट और एचडी वीडियो डिकोडिंग में भी ठीक से काम करता है। इसमें 2GB का रैम (RAM) है और इनबिल्ट स्टोरेज 16GB, जरूरत पड़ने पर माइक्रोएसडी कार्ड स्लॉट भी दिया  
गया है। इसके साथ यूज़र को दो साल के लिए गूगल ड्राइव (Google Drive) पर 100GB का स्पेस फ्री मिलेगा।

11.6 इंच का 1366x768 pixel वाला स्क्रीन बजट लैपटॉप के हिसाब से बिल्कुल फिट बैठता है। हालांकि, 1 मेगापिक्सल का वेबकैम ऐसे डिवाइस के लिए बहेद कमजोर है, जिसका इस्तेमाल लगातार होना है। इसमें वाई-फाई b/g/n/ac और ब्लूटूथ 4.0 भी है। Xolo का दावा है कि डिवाइस मे इस्तेमाल की गई 4,200mAH की बैटरी 10 घंटे तक चलती है, लेकिन किस परिस्थिति में, इसके बारे में नहीं बताया गया। डिवाइस में सेलुलर डेटा इस्तेमाल के लिए कोई इनबिल्ट फीचर नहीं है।



हमारे पास आए रिव्यू यूनिट में Chrome OS का 42.0.2311.153 वर्जन था और रिव्यू के दौरान 43.0.2357.130 वर्जन का अपडेट मिला। इसे अपडेट करना बेहद ही आसान था, बस एक क्लिक की तरह। कुछ मिनटों का इंतजार और डिवाइस रीबूट हो गया। Google आम तौर पर छोटे-छोटे साइज के अपडेट रिलीज करता है और हर बार ये बदलाव नजर भी नहीं आता।

Google के मेटेरियल डिजाइन टच जैसे कि आइकन्स, शैडोज और लेयर्ड पैनल अब Chrome OS में भी नजर आते हैं और चीजें अब पहले से ज्यादा स्लिक नजर आती हैं। लॉन्चर मेन्यू की जगह अब सर्च इंटरफेस आ गया है, जिसमें गूगल नाउ (Google Now) कार्ड्स भी नजर आते हैं। अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले ऐप्स नजर आते है, बाकी ऐप्स तक पहुंचने के लिए आपको "All apps" सबमेन्यू में जाना होगा। आप "OK Google" कमांड वाले ऑटोमेटिक वॉय्स सर्च को क्रोम सेटिंग्स पेज पर जाकर इनेबल कर सकते हैं। जैसा की उम्मीद थी कि साइन इन करते हुए सबकुछ Google अकाउंट के साथ सिंक होने लगता है। अगर आप इसी अकाउंट का इस्तेमाल Android डिवाइस या डेस्कटॉप पर क्रोम ब्राउजर में करते हैं, तो आप पाएंगे कि ज्यादा निजी जानकारियां यहां भी दिख रही हैं।



परफॉर्मेंस
Xolo Chromebook की तुलना बजट लैपटॉप से नहीं की जा सकती। आप इसे एक वेब ब्राउजर डिवाइस मानें ना कि एक रेगुलर लैपटॉप। अगर आपका पूरा दिन Chrome कइस्तेमाल करते बीतता है, तो आपको ऐसा नहीं लगेगा कि आपने कुछ खोया है। अलग-अलग Google अकाउंट के जरिए मल्टीपल यूजर प्रोफाइल सेट अप किए जा सकते हैं और इसमें गेस्ट मोड भी है।

अब कई एंड्रॉयड (Android) ऐप्स Chrome OS पर भी चल सकते हैं। आने वाले दिनों में इस प्लेटफॉर्म पर ज्यादा विविधता देखने को मिल सकती है। मल्टीटास्किंग, फाइल्स मैनेज करने, किसी भी मीडिया को प्ले करने पर थोड़ी निराशा जरूर हाथ लगेगी।



Chromebooks को इस्तेमाल करने के लिए आपको कुछ कंसेप्ट और सीमाओं को समझना पड़ेगा। कीबोर्ड में कोई "home" की (Key) नहीं है, जो थोड़ा चिंताजनक है। इसमें Fn की (key) का क्रम भी नहीं है, ये उन लोगों के लिए निराशाजनक है जो कीबोर्ड शॉर्टकर्ट का इस्तेमाल करते हैं। back, forward  और refresh के लिए अलग से बटन दिए गए हैं। इसके अलावा ब्राइटनेस घटाने/बढ़ाने, वॉल्यूम बढ़ाने/ घटाने और म्यूट करने, पावर/लॉक और फुलस्क्रीन के  लिए अलग से बटन बने हुए हैं।

Xolo Chromebook के इस्तेमाल का अंदाज थोड़ा अलग है। अच्छी बात है कि इसका स्क्रीन ग्लॉसी नहीं है, पर यह शार्प भी नहीं। कलर्स बस ठीक-ठाक हैं, लेकिन व्यूइंग एंगल्स काफी अच्छे हैं। कीबोर्ड बेहद ही खराब हैं। इस्तेमाल के दौरान कीकैप्स (Keycaps) हिलते रहे और तेजी से टाइपिंग के दौरान तो यह अपने आसपास बने प्लास्टिक से जाकर टकराने लगे, जिसके कारण हमारी टाइपिंग स्पीड पर असर पड़ा। ट्रैकपैड ठीक-ठाक है, लेकिन यह हमारी सुविधा के हिसाब से ज्यादा नीचे थे। हम वेबकैम की खराब क्वालिटी से बहुत निराश हैं।



एक बेहद ही अजीबोगरीब बार-बार होती रही, जब भी हम टाइपिंग शुरू करने से पहले टेक्स्ट एंट्री फिल्ड पर क्लिक करते Chrome OS का सॉफ्ट कीबोर्ड का पॉप अप बाहर आ जाता था। ऐसा टैबलेट के साथ होना चाहिए, ना कि ऐसे डिवाइस में जिसमें टचस्क्रीन भी नहीं और वह फुल कीबोर्ड के साथ आता हो।

हमने कुछ मीडिया फाइल स्ट्रीम करके देखे और कुछ को यूएसबी ड्राइव के जरिए चला कर। हमें कोई समस्या नहीं हुई, लेकिन Xolo Chromebook के छोटे स्पीकर से आने वाली आवाज पर्याप्त नहीं थी। BrowserMark पर डिवाइस को 2,160 और SunSpider पर 654ms प्वाइंट मिले, जो एक कम बजट के डिवाइस के लिए औसत है। हमने एक बार में कई Chrome browser windows खोले, इसके साथ कई टैब्स भी, लेकिन डिवाइस कभी स्लो पड़ता नजर नहीं आया।



एक मामले में Xolo Chromebook ने शानदार प्रदर्शन किया, वह है बैटरी लाइफ। अनौपचारिक टेस्टिंग के दौरान हमने पाया कि कंपनी का 10 घंटे के बैकअप का दावा बहुत हद तक सही निकला। हमें यह बात भी पसंद आई कि सिस्टम के बूट अप और शट डाउन में बेहद कम समय लगा।

हमारा फैसला
जिस डिवाइस का इस्तेमाल सिर्फ वेब ब्राउजिंग, कम पावरफुल गेम खेलने और वीडियो स्ट्रीम करने के लिए करना हो, उनकी परफॉर्मेंस मायने नहीं रखती।  ये सारे फंक्शन Xolo Chromebook बेहद ही आसानी से हेंडल करता है। 12,999 रुपये की कीमत वाला Xolo Chromebook उन यूज़र के लिए बेहतरीन ऑप्शन है, जो कम्यूनिकेशन और लाइट इंटरटेनमेंट के लिए एक सिंपल मशीन चाहते हैं। विद्यार्थी और बुजुर्ग इस डिवाइस की खासी प्रशंसा करेंगे, और यह उन लोगों के लिए एक उपयोगी डिवाइस साबित हो सकता है जो टैबलेट तो खरीदना चाहते हैं, मगर कीबोर्ड के साथ।

हालांकि, ब्राउजर के अलावा अन्य फंक्शन के लिए आपको क्लाउड-बेस्ड सॉफ्टवेयर और सर्विसेज में काफी निवेश करना होगा व भारत के ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी की आदत भी डालने पड़ेगी। अच्छी बात यह है कि आप सिर्फ Google के अपने ऐप्स और सर्विसेज तक प्रतिबंधित नहीं हैं, लेकिन फिर भी यह कई लोगों के लिए सीखने का मौका होगा।



कनेक्टिविटी और कीमत के कारण भारत में अब तक लॉन्च हुए Chromebook की सेल अच्छी नहीं रही। आज की तारीख में इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत बड़ी प्रॉब्लम है, इसमें सुधार लाने के लिए बहुत कुछ करना पड़ेगा और इसमें समय भी लगेगा। इस हिसाब से Xolo ने कुछ कमियों को पाटने की कोशिश जरूर की है।

पहले भी हमने Chromebook खरीदने का विचार रखने वाले लोगों को यही सुझाव दिया कि इसके बारे में पूरी तरह से सोच-समझ कर फैसला करें। अगर आप यह जानते हैं कि यह डिवाइस क्या है और क्या नहीं, क्या कर सकता है और क्या नहीं, ये बेहद ही उपयोगी इनवेस्टमेंट साबित हो सकता है।

कीमतः 12,999 रुपये

खासियत
1. लाइटवेट और बनावट अच्छी  
2. सस्ता
3. अच्छी बैटरी लाइफ

कमियां
1. बहुत विविधता नहीं
2. इंटरनेट एक्सेस होना जरूरी
3. औसत कीबोर्ड और ट्रैकपैड

रेटिंग्स (5)
1. डिजाइन: 3.5
2. डिस्प्ले: 3
3. परफॉर्मेंस: 3
4. सॉफ्टवेयर: 3.5
5. बैटरी लाइफ: 4
6. वेल्यू फॉर मनी: 4
7. ओवरऑल: 3.5
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