भारत में ऑनलाइन मैप की सुविधा देने वाली कंपनी गूगल और इस सेवा का इस्तेमाल करने वाले उबर और ओला जैसे कैब सर्विस को आने वाले दिनों में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। गृह मंत्रालय ने लाइसेंस के बिना किसी को भी ऑनलाइन मैप मुहैया करने की अनुमति नहीं दिए जाने का प्रस्ताव दिया है। और इस संबंध में 30 दिनों के अंदर फीडबैक भी मांगा है। फीडबैक jsis@nic.in पर ईमेल करके भेजना है।
आइए इस नए विवाद के बारे में आपको विस्तार से बताते हैं।
गूगल मैप्स जैसी सर्विस सेटेलाइट और क्राउड सोर्स डेटा से जानकारियां इकट्ठा करती हैं। नए प्रस्ताव के लागू होने जाने के बाद यह गैरकानूनी हो जाएगा। प्रस्ताव में लिखा है, "किसी शख्स को भारत के किसी इलाके की भू-स्थानिक तस्वीरें या डेटा रखने की इज़ाजत नहीं होगी जिसे किसी अन्य स्पेस और एरियल प्लेटफॉर्म के द्वारा हासिल किया गया है। इनमें सेटेलाइट, एयरक्राफ्ट, एयरस्पेस और बलून शामिल हैं।''
वेबसाइट या ऐप के जरिए मैप्स के लिए जानकारी जुटाने और उन्हें साझा करने के लिए सरकार से लाइसेंस लेना होगा। सरकार की एक एजेंसी द्वारा वास्तविक मैप को भी साइन किया जाएगा।
अगर ऐसा होता है तो नियमित मैप इस्तेमाल करने वाले मुसाफिरों और टैक्सी ड्राइवरों को खासी दिक्त होगी। क्योंकि रेगुलेट होने के कारण यह सेवा धीमी हो सकती है।
गौर करने वाली बात है कि गृह मंत्रालय के प्रस्ताव में जिस मैप सर्विस का ज़िक्र किया गया है उसका इस्तेमाल खाना पहुंचाने के लिए मशहूर ज़ोमेटो द्वारा भी किया जाता है।
प्रस्ताव में अभी मैप मुहैया कराने वाली सर्विस को भी छूट नहीं दी गई है। सेटेलाइट इमेज या अन्य हवाई तस्वीरों के लिए लाइसेंस लेना पड़ेगा। बिना इज़ाजत मैप सार्वजनिक प्लेटफॉर्म पर साझा करने पर 10 लाख से लेकर 100 करोड़ का जुर्माना लगेगा। इसके अलावा 7 साल की जेल का भी प्रावधान होगा।
कश्मीर के मानचित्र को लेकर और सख्ती बरती जाएगी। इस क्षेत्र के संबंद में गूगल के साथ अन्य सेवाएं, जिनके मैप भारत के दावे से अलग हैं, वे गैरकानूनी होंगे। उन्हें पब्लिश करने पर ज़ुर्माना भी लगाया जाएगा।
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